क्या द्रौपदी यज्ञ से उत्पन्न हुई थी?

लेखक - यशपाल आर्य

आज सामान्य जन में यह भ्रान्ति है कि द्रौपदी की उत्पत्ति यज्ञ से हुई थी। यज्ञ से मनुष्य की उत्पत्ति हो सकती है, यह बात तर्क के आधार पर सत्य प्रतीत नहीं होती। द्रौपदी किसकी पुत्री थीं, हम इसपर विचार करते हैं।

द्रौपदी स्वयंवर प्रसंग के ये दो श्लोक द्रष्टव्य हैं-

आदि पर्व अध्याय 178, श्लोक 4,5

अब इसका अनुवाद देखें-

यहां इन श्लोकों में द्रौपदी को द्रुपदात्मजा विशेषण दिया है। अब आत्मजा शब्द की सिद्धि व्याकरण से करते हैं-

संस्कृत में आत्मन् प्रातिपदिक से पञ्चम् विभक्ति हो कर “पञ्चम्यामजातौ” सूत्र (अ० 3.2.98) से इसमें जनि प्रादुर्भावे अर्थ में (दिवादि गण आत्मने पदी) धातु को ड प्रत्यय होने से आत्मज शब्द सिद्ध होता है। इसमें टाप् प्रत्यय लगने से स्त्रीलिङ्ग में आत्मजा शब्द सिद्ध होता है। जिसका अर्थ होता है स्वयं से उत्पन्न हुई पुत्री।

अर्थात् यहां यह सिद्ध है कि द्रौपदी महाराज द्रुपद की ही पुत्री थीं, यज्ञ से नहीं उत्पन्न हुई थीं।

इसी प्रकार इस विशेषण वाले अन्य श्लोक भी द्रष्टव्य हैं-

आदिपर्व 184.4 देखिए

अब इसका भाषानुवाद देखें

सभापर्व अध्याय 60 श्लोक 17 देखें-

इसका भाषानुवाद इस प्रकार है-

सभा पर्व 61.28 देखें-

अब इसका भाषानुवाद देखें -

आरण्यक पर्व 5.14 देखें -
अब इसका भाषानुवाद देखें-


आरण्यक पर्व 227.10 देखें
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आरण्यक पर्व 252.1 देखें
अब इसका भाषानुवाद देखें-

आरण्यक पर्व 277.1,3 देखें
इसका भाषानुवाद देखें 
आरण्यक पर्व 277.1,3

इसी प्रकार बुद्धिमान् पाठकगण इस विशेषण को महाभारत में अन्यत्र भी देख सकते हैं।

ऐसा माना जाता है कि धृष्टद्युम्न की भी उत्पत्ति उसी यज्ञ से हुई थी। यह बात भी सत्य नहीं है क्योंकि अनेकत्र उन्हें भी द्रुपदात्मज कहा है।

आदिपर्व 197.21 देखें

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आदिपर्व 192.15 देखें

इसका भाषानुवाद देखें 

यहां एक तथ्य यह भी स्पष्ट होता है कि शिखंडी भी महाराज द्रुपद के पुत्र थे, और महाराज द्रुपद के अनेक पुत्र थे।

याज्ञसेनी का रहस्य

अब एक और भ्रान्ति शेष रह जाती है कि द्रौपदी को अनेकत्र याज्ञसेनी कहा है, क्या इसका यह अर्थ कि द्रौपदी जी यज्ञ से उत्पन्न हुई थीं या इस शब्द का कुछ भिन्न ही अर्थ है? महाभारत से यह विदित होता है कि महाराज द्रुपद को अनेकत्र यज्ञसेन कहा है। कुछ प्रमाण देखें-

महाभारत आदिपर्व अध्याय 122 श्लोक 26

अब इसका अनुवाद देखें


और प्रमाण देखें-
(आदिपर्व 128.5,11)

अब इसका अनुवाद देखें


जैसे वसुदेव के पुत्र को वासुदेव, चणक के पुत्र को चाणक्य कहा जाता है, उसी प्रकार यज्ञसेन की पुत्री को यज्ञसेनी कहा जाता है न कि यज्ञ से उत्पन्न होने के कारण। इसी को न समझ कर लोगों ने यज्ञ से उत्पत्ति वाली कथा कल्पित कर लिया। यदि कोई यह कहे कि पुत्रेष्टि हुई थी, तब उस यज्ञ से द्रौपदी निकली थी। यदि यह मान भी लें तो भी सत्य नहीं है क्योंकि पुत्रेष्टि में यज्ञ से संतान नहीं निकलती, इस विषय में हम पुत्रेष्टि और श्रीराम आदि के जन्म का रहस्य नामक लेख में लिख चुके हैं, उसमें पढ़ सकते हैं।

प्रश्न - क्या द्रौपदी जी के बचपन का कोई वर्णन महाभारत में प्राप्त होता है या नहीं?

उत्तर - हां, प्राप्त होता है। आरण्यक पर्व में वे अपने जीवन की एक घटना सुना रही होती हैं उस प्रसंग का यह श्लोक द्रष्टव्य है-

(आरण्यक पर्व 33.58)
अब इसका भाषानुवाद देखें

जरा विचार करें, क्या कोई युवा कन्या यूं ही पिता के गोद में बैठ जाएगी? नहीं, कदापि नहीं। यहां स्पष्ट सिद्ध होता है कि यह बाल्यावस्था के घटना का ही वर्णन है।

आशा करते हैं कि इस विषय में आपको नई जानकारी मिली होगी। आइए सत्य को ग्रहण करें और सबको सत्य से परिचित कराएं। यदि लेख पसन्द आया हो, कुछ नई जानकारी मिली हो तो शेयर अवश्य करें।

संदर्भित एवं सहायक ग्रंथ

  • महाभारत (BORI critical edition)
  • महाभारत BORI critical edition का भाषानुवाद (पंडित दामोदर सातवलेकर जी कृत)
  • अष्टाध्यायी

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