विवाह के समय कितनी थी भगवान् राम व माता सीता की आयु? कितना अन्तर था? वाल्मीकि रामायण का वह दुर्लभ प्रमाण जो आपसे छुपाया गया

Ram aur sita ka Vivah kab hua

लेखक - यशपाल आर्य

पेरियार अपनी सच्ची रामायण में लिखता है कि माता सीता की आयु भगवान् श्रीराम से अधिक थी। इस कथन से स्पष्ट है कि पेरियार ने रामायण का दर्शन भी नहीं किया है, अगर किए होते हो ऐसे न लिखते।

अब हम वाल्मीकि रामायण से इसका खंडन करते हैं-

वाल्मीकि रामायण में जब रावण छद्म वेश में आ कर सीता जी से परिचय पूछता है तो उसमें सीता जी परिचय बताते हुए कहती हैं कि वन गमन के समय भगवान् राम की आयु 25 वर्ष से ऊपर थी तथा मेरी (माता सीता की) आयु लगभग 18 वर्ष थी।

Ramayan
अरण्यकाण्ड सर्ग ४७


इस प्रमाण से आप पता कर सकते हैं कि पेरियार ने कितना अध्ययन किया है।

माता सीता व भगवान् श्रीराम की विवाह के समय क्या थी आयु

इसी सर्ग के दो श्लोक जो गलत हैं, उन्हें ही लोगों सही मान लिया जिसके कारण उन्हें भगवान् राम व माता सीता की आयु के विषय में लोगों को भ्रांतियां होने लगीं और लोग माता सीता का बालविवाह मानने लगे। इस भ्रान्ति में फंसे लोगों के अनुसार विवाह के समय श्री राम की आयु 14 व माता सीता की आयु 6 वर्ष थी। वे मिलावटी श्लोक इस प्रकार हैं -

Milavat
अरण्यकाण्ड सर्ग ४७

इसी प्रकार एक श्लोक सुंदरकांड में भी है, जहां सीता जी हनुमान जी से भी यही वाक्य कहती हैं-

Seeta ji ki aayu
सुंदरकांड सर्ग 33

अब हम देखते हैं कि यह मिलावट क्यों है

जब महर्षि विश्वामित्र श्रीराम, लक्ष्मण के साथ मिथिला जाते हैं तो रास्ते में राजा सुमति के यहां रुकने का निश्चय करते हैं, उस समय राजा सुमति विश्वामित्र जी से श्री राम और लक्ष्मण के विषय में पूछते हुए उन्हें युवाावस्था को प्राप्त कहते हैं

Valmiki Ramayan
बालकांड सर्ग 48

इसी प्रकार जब महर्षि विश्वामित्र श्रीराम व लक्ष्मण के साथ मिथिला में पहुंचते हैं तो जनक जी उनके विषय में पूछते हैं, तो वे भी श्री राम और लक्ष्मण जी को युवा ही कहते हैं

6 varsh ka khandan
बालकाण्ड सर्ग 50

यहां दोनों प्रमाण से सिद्ध है कि श्री राम जी की आयु 25 वर्ष से अधिक की थी, क्योंकि पुरुष की युवावस्था 25 वर्ष से प्रारंभ होती है।

माता सीता अनुसूया जी को बताती हैं कि विवाह के समय मेरी उस समय पतिसंयोगसुलभा अवस्था अर्थात् विवाह के योग्य अवस्था थी।

Age of ram and sita

अब हम सुश्रुत संहिता में विवाह की आयु बताया है वह देखते हैं-

Aayurved
सुश्रुत संहिता शरीर स्थान अध्याय 10
सुश्रुत संहिता से स्पष्ट है कि सीता जी की विवाह के समय आयु 16 वर्ष से अधिक थी।
वैदिक धर्म के अनुसार पूर्ण युवावस्था में ही स्त्री व पुरुष का विवाह होता था, जो जानना चाहें तो कौन कहता है वैदिक धर्म में बालविवाह की आज्ञा है? नामक पोस्ट पढ़ें।

इन प्रमाणों से स्पष्ट हो गया कि श्रीराम जी व माता सीता का बालविवाह नहीं हुआ था।

अब हम एक और प्रमाण देते हैं, यहां भी सीता जी को युवा ही कहा है, जब राम जी वन चले जाते हैं तो कौशल्या जी रोते हुए महाराज दशरथ को उपालम्भ देती हैं, उसमें से एक श्लोक इस प्रकार है-

सा नूनं तरुणी श्यामा सुकुमारी सुखोचिता।

कथमुष्णं च शीतं च मैथिली प्रसहिष्यते।।

(वा. रा. अयो. का. स. ६१ श्लो. ४)

यहां कौशल्या जी ने सीता जी को तरूणी कहा है। तरूणी का अर्थ होता है युवावस्था को प्राप्त महिला।

पश्चिमोत्तर संस्करण में इस प्रकार आया है-

ते भोगहीनास्तरुणाः फलकाले विवासिताः।

वने वत्स्यन्ति कृपणा मम् वत्साः सुदुःखिताः।।

यहां पर ते शब्द का प्रयोग किया है, संस्कृत में ते शब्द सः का बहुवचन है। ते शब्द का अर्थ होता है वे सब। अतः कौशल्या जी यहां कहती हैं कि वे सब (तीनों) तरुण अवस्था को प्राप्त थे। अब कुछ लोग ऐसा कहेंगे कि विवाह के बाद 12 वर्ष पर्यंत सीता जी अयोध्या में रहीं, इस श्लोक को हमने ऊपर ही अप्रमाणिक बोल दिया है, लेख को पूरा पढ़ें हमने अपनी बात सिद्ध भी किया है व हमने वास्तविक श्लोक भी खोज लिया है, जिसे हमने लेख में आगे दिया है। वास्तविक श्लोक के अनुसार सीता जी केवल 1 वर्ष अयोध्या में रहीं, अतः यहां भी सिद्ध होता है कि सीता जी का युवावस्था में ही विवाह हुआ था।

अयोध्याकांड में जब भगवान् राम का राज्याभिषेक होने वाला होता है तो राम जी को वनवास दे दिया जाता है, तब भगवान् राम अपनी माता से आज्ञा लेने जाते हैं तो उस प्रसंग में कौशल्या जी कहती हैं-

Marriage
अयोध्याकांड सर्ग २०

यहां कौशल्या जी कहती हैं कि राम जी का उपनयन 17 वर्ष पूर्व हुआ था। तथा पश्चिमोत्तर व बंगाल संस्करण के अनुसार 18 वर्ष पूर्व हुआ था।

वहां श्लोक इस प्रकार आया है-

अद्य जातस्य वर्षाणि दश चाष्टौ च तेऽनघ।

क्षपितानीह कांङ्क्षन्त्या त्वतो दुःखपरिक्षयं।।

कुछ लोगों का आक्षेप हो सकता है कि यहां जन्म की बात आई है जबकि हमने यहां द्वितीय जन्म अर्थात् द्विज का ग्रहण किया है, जो हमारी मनमानी का अर्थ है, जो मूल के कदापि अनुकूल नहीं है। ऐसे लोग अपनी अक्ल का प्रयोग नहीं करते, चलिए कोई बात नहीं हम इस भ्रांति का निवारण कर देते हैं। जब भगवान् राम सुमति के पास पहुंचते हैं तो वे राम जी को युवा कहते हैं इसी प्रकार जनक जी भी युवा ही कहते हैं। युवावस्था 25 वर्ष से शुरू होती है। तथा कौशल्या जी का यह कथन सुमति व जनक जी के कथन के बाद का है। इस कारण राम जी की आयु 17 वा 18 वर्ष नहीं हो सकती अतः यहां जन्म से यज्ञोपवीत रूप द्वितीय जन्म मानना ही समीचीन होगा।

ऋषि दयानंद जी ने संस्कार विधि में आश्वलायन गृह्यसूत्र का प्रमाण देते हुए लिखा है कि क्षत्रिय का उपनयन संस्कार 11वें वर्ष होना चाहिए।

Sanskaar vidhi

ऐसा ही हमें गौतम धर्मसूत्र में भी प्राप्त होता है

अब राम जी का यज्ञोपवीत राज्याभिषेक से 17 वा 18 वर्ष पूर्व हुआ था अर्थात् राम जी की उस समय की आयु लगभग 17+11=28 वा 18+11=29 वर्ष थी। जैसा कि माता सीता ने रावण से कहा था कि मेरे पति की आयु 25 वर्ष से ऊपर की थी पूरा स्पष्ट हो गया।

जैसा कि हमने सिद्ध किया कि ये श्लोक गलत हैं, अब हम सही श्लोक देते हैं। बंगाल संस्करण में यहां बारह वर्ष नहीं बल्कि एक संवत्सर अर्थात् एक वर्ष आया है, वह ही प्रामाणिक है, क्योंकि सीता जी अनुसूया जी से कहती हैं कि मेरी आयु विवाह के योग्य थी उसके पश्चात ही श्रीराम जी से विवाह हुआ। अब अगर माना जाए कि 12 वर्ष तक सीता जी अयोध्या में रहीं और वन गमन के काल में उनकी आयु 18 वर्ष थी तो विवाह के समय उनकी आयु 18-12=6 वर्ष मानना पड़ेगा, जिसका सीता जी के कथन से विरोध हो रहा है अतः एक संवत्सर वाला प्रमाण मानना ही तर्कसंगत है।

बंगाल संस्करण में सन्यासी वेश में आए रावण से जब सीता जी अपने विषय में बताती हैं, तब वे कहती हैं-

अरण्य काण्ड सर्ग 53

ओरिएंटल इंस्ट्यूट बड़ौदा से प्रकाशित रामायण के क्रिटिकल एडिशन में भी यहां एक वर्ष ही माना है, देखें प्रमाण
अरण्य काण्ड सर्ग 45 (critical edition)

इसी प्रकार हनुमान जी से सीता जी जब अपने बारे में बताती हैं तो वहां भी यही कहती हैं कि एक वर्ष मैंने अयोध्या में निवास किया, देखें श्लोक

सुंदरकांड सर्ग 31 (बंगाल संस्करण)
यहां पर ओरिएंटल इंस्ट्यूट बड़ौदा ने 12 वर्ष वाला श्लोक ग्रहण किया है। प्रथम तो हमने पूर्व में सिद्ध किया है कि 12 वर्ष वाला श्लोक सही नहीं हो सकता क्योंकि कई प्रमाणों से उसका मेल नहीं हो रहा बल्कि वह उनके विरुद्ध जा रहा है, जबकि एक संवत्सर वाले में ऐसा कुछ नहीं हो रहा अतः यह मान्य है। तथा दूसरी बात ओरिएंटल इंस्ट्यूट बड़ौदा के अरण्य काण्ड में खुद 1 वर्ष बताया है जबकि यहां सुंदरकांड में 12 वर्ष बताया है अतः ओरिएंटल इंस्ट्यूट की यह बात उनके स्वयं के वक्तव्य से भी विरुद्ध है अतः यह श्लोक प्रमाण नहीं है। श्लोक देखें
सुंदरकांड सर्ग 31 (critical edition)
इस प्रकार आपने देखा कि भगवान् राम व माता सीता का विवाह युवावस्था में हुआ था, बालविवाह कहने वाले लोग अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करते, ऐसे लोगों को हम सलाह देंगे कि अच्छे से वाल्मीकि रामायण का अध्ययन करने के पश्चात ही रामायण पर कुछ बोला करें।

संदर्भित व सहायक ग्रंथ
१. वाल्मीकि रामायण
२. सुश्रुत संहिता
३. संस्कार विधि
४. गौतम धर्मसूत्र

Comments

  1. बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने। ओम नमस्ते जी

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  2. Aap bahut axa kaam kar rahe hai bhaiya ji. Aapki lambi aayu ki kamna krta hu.

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  3. यदि सीता जी की आयु छह मान भी लें तो माण्डवी, श्रुतकीर्ति की आयु ४ व ३ वर्ष होना कोई सम्भव बात है?🤣 और दुर्जनतोषन्याय से उस श्लोक को ठीक भी मान लें तो हो सकता है कि सीता जी विवाह के समय की अपनी आयु बता रही हों।

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  4. sir skand puran me bhi same likha hai uska bhi khandan kijiye pls

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  5. धन्यवाद

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