सामवेदीय छन्दोग शाखा के पुरातात्त्विक प्रमाण
लेखक - यशपाल आर्य (पुरातात्त्विक प्रमाण हमारे मित्रों ने खोजा है इस कार्य हेतु उनका आभार) भगवान् पतञ्जलि के अनुसार सामवेद की एक सहस्र (1000) शाखाएँ थीं - सहस्रवर्त्मा सामवेद (महाभाष्य पस्पशाह्निक)। प्रपंचहृदय से ज्ञात होता है कि उस काल तक वेदों की अनेक शाखाएं नष्ट हो गई थीं तथा सामवेद की तलवकार आदि 12 शाखाएँ ही शेष बची थीं। तत्र सामवेदः सहस्रधा....... तत्रावशिष्टाः सामबाह्वृचयोर्द्वादश द्वादश........तत्र सामवेदस्य तलवकारच्छन्दोगशाट्यायनराणायनिदुर्वासस(?) भागुरिगौस्तलवकारालिसावर्ण्यगार्ग्यवार्षगण्यौपमन्यवशाखाः। (प्रपंचहृदय - वेदप्रकरणं) यहाँ सामवेद के छन्दोग नामक शाखा विशेष का उल्लेख है। आइए हम इसी शाखा के कुछ पुरातात्त्विक प्रमाण देखते हैं। मथुरा से 102 ई. का एक यूपस्तंभ प्राप्त होता है जिसमें सामवेदीय छन्दोग शाखा के अध्येता रुद्रिल पुत्र द्रोणिल नामक ब्राह्मण का उल्लेख प्राप्त होता है। इसी प्रकार वाराणसी के राजघाट में 3rd-4th century CE की दो मुहरें प्राप्त हुई हैं उनमें भी इस शाखा की ऐतिहासिकता की सिद्धि होती है। आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी अवश्य पसंद आई होगी। इसी के साथ हम अपन