जन्माष्टमी की तिथि निर्धारण
द्वापरयुग के अन्तिम चरण में जन्म लेने वाले योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण के समुज्ज्वल जीवन-चरित का गुणगान भगवान् वेदव्यास जी ने महाभारत में किया है। विजय तो जैसे उनकी वशवर्तिनी रही हो, योगविद्या में साक्षात् योगेश्वर, जीवन्मुक्त होते भी सत्कर्मों में लगे रहने वाले ताकि यह सम्पूर्ण विश्व उनका अनुकरण करके धर्म पथ पर चलता रहे। हम सभी जानते हैं कि ऐसे दिव्य गुणों से सदैव सुशोभित होने वाले भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को हुआ था, किन्तु एक विद्वान् [किसी का नाम लेना उचित नहीं समझता] की पोस्ट अग्रसारित रूप में प्राप्त हुई, उसमें उन्होंने दावा किया था कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की वास्तविक तिथि भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि न होकर श्रावण मास की अष्टमी तिथि है। उनका मत है कि भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जन्माष्टमी मनाना अशास्त्रीय है। अपने पक्ष के समर्थन में उन्होंने विष्णु पुराण का एक श्लोक भी प्रमाण स्वरूप उद्धृत किया था जो इस प्रकार है-
प्रावृट्काले च नभसि कृष्णाष्टम्यामहं निशि।
उत्पत्स्यामि नवम्यां तु प्रसूतिं त्वमवाप्स्यसि॥ (वि. पु. ५/१/७८)
अतः उनके मतानुसार प्रचलित जन्माष्टमी से एक मास पूर्व ही वास्तविक जन्माष्टमी हो जाती है। प्रथम दृष्ट्या तो उनका मत पूर्णतः सत्य प्रतीत होता है, किन्तु गंभीरता से विचार करने पर उनका मत उचित नहीं जान पड़ता।
अग्निपुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी को हुआ था। पुराणकार के शब्दों में-
अग्निरुवाच-
वक्ष्ये व्रतानि चाष्टम्यां रोहिण्यां प्रथमं व्रतम्।
मासि भाद्रपदेऽष्टम्यां रोहिण्यामर्धरात्रके॥१॥
कृष्णो जातो यतस्तस्यां जयन्ती स्यात्ततोऽष्टमी।
सप्तजन्मकृतात्पापान्मुच्यते चोपवासतः॥२॥
कृष्णपक्षे भाद्रपदे अष्टम्यां रोहिणीयुते।
उपोषितोऽर्चयेत्कृष्णं भुक्तिमुक्तिप्रदायकम्॥३॥
(अग्नि. पु. 183/1-3; चौखम्भा प्रेस)
शब्दकल्पद्रुम में जन्माष्टमी शब्द के अन्तर्गत अग्निपुराण के नाम से इन श्लोकों को उद्धृत किया गया है-
अग्निपुराणे।
“रोहिणीसहिता कृष्णा मासि भाद्रपदेऽष्टमी। सप्तम्यामर्द्धरात्राधःकलयापि यदा भवेत्॥
तत्र जातो जगन्नाथः कौस्तुभी हरिरीश्वरः।
तमेवोपवसेत् कालं तत्र कुर्य्याच्च जागरम्॥
अविद्धायाञ्च सर्क्षायां जातो देवकीनन्दनः॥”
(शब्दकल्पद्रुम)
यहाँ भी जन्माष्टमी की तिथि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी ही बताई गई है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवर्षि नारद और भगवान् नारायण के संवाद से भी ज्ञात होता है कि जन्माष्टमी की तिथि भाद्रपद अष्टमी है-
जन्माष्टमीव्रतं ब्रूहि व्रतानां व्रतमुत्तमम्।
फलं जयन्ती योगस्य सामान्येनैव सांप्रतम्॥१॥
फलं भाद्रपदेऽष्टम्यां भवेत्कोटिगुणं द्विज॥६॥
(ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्णजन्मखण्ड 8/1,6; चौखम्भा प्रेस)
इसी प्रकार गरुड़पुराण में भी भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन श्रीहरि का भजन करना बताया गया है-
ब्रह्मन् भाद्रपदे मासि शुक्लाष्टम्यामुपोषितः।१।
कृष्णाष्टम्याञ्च रोहिण्यामर्द्धरात्रेऽर्चनं हरेः।३।
(गरुड़ पुराण 131/1,3; चौखम्भा प्रेस)
रोहिणी नक्षत्र से युक्त अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और यहाँ उसी तिथि को श्रीहरि की पूजा करने के लिए कहा गया है, अतः गरुड़-पुराणकार के अनुसार भी जन्माष्टमी की तिथि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी ही है। इसी प्रकार शब्दकल्पद्रुम में ‘जन्माष्टमी’ की व्याख्या करते हुए ब्रह्मपुराण का एक श्लोक उद्धृत किया गया है, उसमें भी श्रीकृष्ण के जन्म की तिथि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी ही बताई गई है-
तत्र श्रीकृष्णस्य जन्मकालो यथा ब्रह्मपुराणे।
“अथ भाद्रपदे मासि कृष्णाष्टम्यां कलौ युगे।
अष्टाविंशतिमे जातः कृष्णोऽसौ देवकीसुतः॥”
(शब्दकल्पद्रुम)
इन सभी प्रमाणों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि भाद्रपद कृष्ण अष्टमी ही बताई गई है। अभी भी एक समस्या शेष है कि पूर्वपक्ष द्वारा प्रस्तुत श्लोक में तो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी बताई गई है, उसका निराकरण किए बिना यह पक्ष पूर्णतः स्थापित नहीं हो सकता। वस्तुतः विष्णुपुराण के उस प्रमाण का अथवा अन्यत्र कहीं भी यदि जन्माष्टमी की तिथि श्रावण मास में बताई गई है तो उससे हमारे पक्ष में कोई समस्या नहीं आती। हम सभी जानते हैं कि मास दो प्रकार के होते हैं एक पूर्णिमान्त और दूसरा अमान्त मास। दक्षिण भारत में अमान्त मास प्रचलित है तो वहीं उत्तर भारत में पूर्णिमान्त मास। पूर्णिमान्त मास अमान्त मास की अपेक्षा 15 दिन आगे होता है यहाँ सम्पूर्ण खेल इसी का है। यदि हम अमान्त मास के अनुसार विचार करें तो जन्माष्टमी श्रावण मास में पड़ती है किन्तु से पूर्णिमान्त मास के अनुसार भाद्रपद मास में। मासों का यह अंतर केवल गणना में आता है किन्तु लौकिक जीवन में दोनों ही मासों के प्रत्येक पर्व एक ही दिन पड़ते हैं। शब्दकल्पद्रुम में भी यही कहा है-
(जन्मनः श्रीकृष्णोत्पत्तेरष्टमी तिथिः।) भाद्रकृष्णाष्टमी। सा च श्रीकृष्णस्य जन्मतिथिः। सा तु मुख्यचान्द्रेण श्रावणस्य कृष्णाष्टमी गौणचान्द्रेण भाद्रस्य।
संक्षेप में कहें तो पूर्णिमान्त मास के अनुसार जन्माष्टमी भाद्रपद मास में पड़ती है जबकि अमान्त मास के अनुसार श्रावण मास में, इसमें कोई अशास्त्रीयता जैसा पक्ष नहीं आता।
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