क्या महर्षि दयानन्द ने मनुस्मृति में ब्रह्मावर्त के स्थान पर आर्यावर्त पाठ मिलावट कर दिया? | Brahmavarta or Aryavarta : What Is The Text In Manusmriti | Critical Analysis of Manusmriti
अनेक लोग यह आक्षेप लगाते हैं कि महर्षि दयानन्द जी ने मनुस्मृति में मिलावट कर दिया, जो ऋषि दयानंद ग्रंथों में प्रक्षेप होना स्वीकार करते थे वे तो स्वयं ही ग्रंथों में प्रक्षेप करते थे आदि। उन्होंने ब्रह्मावर्तं को हटा कर आर्यावर्तं पाठ अपने मन से मिला दिया। इसपर कुछ लोगों की शंका होती है कि महर्षि ने कहा था कि मेरी भी जो त्रुटि हो जाए उसे विद्वान् जन सुधार लेवें तो क्या इसे ऋषि की त्रुटि मान कर इसका सुधार कर लेना चाहिए?
पण्डित भगवद्दत्त जी, पण्डित युधिष्ठिर जी मीमांसक आदि आर्य विद्वानों ने भी यही माना है कि यहां ऋषि से त्रुटि हो गई है। हम इन विद्वानों की विद्या को नमन करते हुए यह कहना चाहते हैं यहां समस्त आर्य विद्वानों से यहां भी भूल हो गई है कि मनुस्मृति में ब्रह्मावर्तं ही पाठ मिलता है, आर्यावर्तं नहीं है। मोहनचंद्र जी आर्य यहां लिखते हैं कि ऋषि के पास जो मनुस्मृति थी उसमें आर्यावर्तं ही पाठ था और वह आज भी परोपकारिणी के पुस्तकालय में है।
अब हम एक दुर्लभ शोध बताने वाले हैं, जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे। Patrick Olivelle ने मनुस्मृति की अनेक पांडुलिपियों के आधार पर पर critical edition निकाला था। मनुस्मृति के critical edition के अनुसार जम्मू से प्राप्त मनुस्मृति में ‘आर्यावर्तं’ पाठ ही है।
महर्षि का अनावश्यक खंडन करने वाले महानुभावों से हम कहना चाहेंगे कि महर्षि का खण्डन करने से पूर्व महर्षि के बात को अच्छी प्रकार से चेक कर लिया करें, अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि महर्षि के खंडन करके के चक्कर में आपका स्वयं का ही अपमान हो जाए। इसी के साथ हम अपनी लेखनी को विराम देते हैं।
।।ओ३म् शम्।।
संदर्भित एवं सहायक ग्रंथ
- सत्यार्थ प्रकाश (वैदिक पुस्तकालय दयानन्द आश्रम केसरगंज अजमेर)
- सत्यार्थ प्रकाश (मोहन चंद्र जी आर्य द्वारा संपादित)
- मनुस्मृति (c.e. by Patrick Olivelle)
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