जिसे बड़ी बड़ी space agencies भी नहीं बता सकीं, उसे आचार्य अग्निव्रत जी ने ऐतरेय से बताया


लेखक - यशपाल आर्य

सर्वप्रथम हम जान लें कि सूर्य की कई लेयर होती हैं, जिसे आप इस डायग्राम में देख सकते हैं

इसमें सबसे अंदर वाली लेयर को core कहते हैं, इसमें nuclear fusion की क्रिया होती है। इसका घनत्व 150gm/cm³ है और इसका तापमान लगभग 15.7 करोड़ केल्विन है। Modern science को इसकी सही त्रिज्या नहीं पता है, वह सूर्य की संपूर्ण त्रिज्या का 20 से 25% मानता है

The core of the Sun is considered to extend from the center to about 0.2 to 0.25 of solar radius.
( Source- Wikipedia)

अब हम वैदिक विज्ञान के द्वारा सूर्य के core की त्रिज्या को सही तरह से जानेंगे

हमारे वेद व आर्ष ग्रंथों में महान विज्ञान है, लेकिन महाभारत के युद्ध के कारण ऋषि मुनियों के मर जाने के कारण, यह विज्ञान धीरे धीरे विलुप्त होता गया, विज्ञान यौगिक शब्दों में है, जिसको लोग न समझ कर पशु बली जैसे पाप को वेद व वेदानुकूल आर्ष ग्रंथों में मान लिया।
इस ओर सर्वप्रथम महर्षि दयानंद जी का ध्यान गया,  महर्षि दयानंद जी को जहर दे कर मार डाला गया, इस कारण उन्हें ब्राह्मण ग्रंथों के भाष्य करने का समय ही नहीं मिला। लेकिन आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने अपने कठोर तप, ईश्वर की कृपा, ऋषि दयानंद जी के दिए गए संकेतों के आधार पर ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ का भाष्य किया, जो modern science के समस्याओं का समाधान कर सकता है। उसमें बहुत आगे की science है। इसके 7वें अध्याय के 7वें खंड में सूर्य के core की त्रिज्या बताई गई है। इसमें बताया गया है कि सूर्य का core पृथ्वी से surface से 1 हजार आश्वीन दूर है, और सूर्य की core भी 1 आश्वीन की है, यह यौगिक शब्दों में लिखा है।

इससे आचार्य जी ने सूर्य के core की त्रिज्या इस प्रकार निकाली

धरती के surface से सूर्य के केंद्र की दूरी = धरती के surface से सूर्य के core के surface तक की दूरी + सूर्य के core के surface से सूर्य के केंद्र की दूरी                          .........(1)

धरती के surface से सूर्य के surface की दूरी =15,00,00,000 km.
सूर्य के surface से सूर्य के केंद्र तक की दूरी अर्थात् सूर्य की त्रिज्या = 6,96,000 km.
धरती के surface से सूर्य के core के surface तक की दूरी = 1,000 आश्वीन
सूर्य के core के surface से सूर्य के केंद्र की दूरी = 1 आश्वीन
इन सभी मानों को समीकरण (1) में रखने पर
15,00,00,000km. + 6,96,000km. = 1,000 आश्वीन +  1 आश्वीन
=> 15,06,96,000km. = 1,001 आश्वीन
(माना 1आश्वीन = x)
=> 15,06,96,000km. = 1,001x
=> x=15,06,96,000÷1,001
=> x=150,545.45455km.
x = 1आश्वीन = 150,545km.
अतः सूर्य के core की त्रिज्या 150,545 किलोमीटर है

इससे स्पष्ट होता है कि इसका ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार निम्नलिखित सूत्र है

इसी प्रकार की अनेक बातों को वेद विज्ञान आलोक (ऐतरेय ब्राह्मण ग्रंथ का का वैज्ञानिक भाष्य) में आचार्य अग्निव्रत जी ने ने बताया है, जिसमें कई ऐसे बातें भी हैं जिनके बारे में मॉडर्न साइंस बिल्कुल भी नहीं जानता तो कई बातों पर एकदम उलझा हुआ महसूस करता है।


Comments

  1. जय सत्य सनातन् कि!!

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