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Showing posts from April, 2022

प्रजापति और उनकी पुत्री के विवाह की समीक्षा

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 लेखक - यशपाल आर्य जैसा कि आप सभी को विदित है कि amu द्वारा महापुरुषों पर रेपिस्ट होने का दोषारोपण किया गया था। जिसमें तीन उदाहरण दिए गए थे, जिनका हमने खंडन पूर्व के दो लेखों में किया तथा amu द्वारा महापुरुषों पर रेप के आरोप के खंडन में यह तीसरा व अंतिम लेख है। इस लेख में हम प्रजापति का उनकी पुत्री से विवाह की समीक्षा करेंगे। यह कथा हमें मत्स्य पुराण, सरस्वती पुराण में मिलती है व इसका भविष्य पुराण में भी संकेत मिलता है। कथा को हम मत्स्य पुराण से दे रहे हैं, आप यहां पढ़ सकते हैं- भविष्य पुराण में इस प्रकार कहा है- भविष्य पुराण प्रतिसर्ग पर्व खंड ४ अध्याय १८ यहां भविष्य पुराण में इस प्रकार कहा है कि ब्रह्मा आदि का अपने बहन आदि से शादी करना वेदमय वाक्य है। इसी से इस संपूर्ण कथा का खंडन हो जाता है, क्योंकि वेद में कन्या को दुहिता कहा है। दुहिता का अर्थ करते हुए भगवान् यास्क लिखते हैं- दुहिता दुर्हिता। दूरे हिता। (निरुक्त ३|४) अर्थात् कन्या का 'दुहिता' नाम इस कारण से है कि इसका विवाह दूर गोत्र और देश में होने से हितकारी होता है, निकट करने में नहीं। इसी प्रकार वेदों के प्रकांड विद्व

वैदिक सौर विज्ञान

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लेखक - शिवांश आर्य सभी धर्म प्रेमी सज्जनों को नमस्ते जी आप सब तो वेदों के नाम से ही परिचित होंगे कि वेद चार हैं - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद । इन चारों वेदों में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का ज्ञान -विज्ञान ,शिल्पकला, ज्योतिष, आयुर्वेद ,संगीत, संस्कृति आदि अनेकों विषय उपलब्ध हैं। जो ज्ञान आधुनिक विज्ञान करोड़ो डॉलर खर्च कर के प्राप्त कर पाया है वह समस्त ज्ञान बल्कि उससे भी कहीं अधिक गूढ़ ज्ञान वेदों में बताया गया है। ज्ञान प्राप्ति के प्रयास में आधुनिक विज्ञान ने प्रकृति को कितना दूषित किया धरती ,जल आदि संसाधनों का कितना दोहन किया इस बात से सभी परिचित हैं किन्तु वेद का जो ज्ञान शुद्ध रूप में परमपिता परमात्मा द्वारा ऋषियों को दिया गया, जो समस्त मानव ज्ञान का मूल स्रोत रहा उस वेद को वर्तमान समाज ने भुला दिया।  सूर्य विज्ञान के विषय मे वैदिक साहित्य में विस्तृत जानकारी दी गयी है। आइए कुछ जानकारियां आपसे साझा करता हूं और उचित स्थान पर आधुनिक विज्ञान के मत को भी प्रस्तुत किया गया है ताकि आप स्वयं तुलना कर समझ सकें कि वेद का विज्ञान कितना उन्नत है।  १- सूर्य के प्रकाश की गति  आधुनिक विज्ञान

विष्णु वृंदा कथा की समीक्षा

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लेखक - यशपाल आर्य जैसा कि आप सभी को विदित है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने हमारे महापुरुषों पर दोष लगाया था। जिसमें से इंद्र अहल्या कथा के ऊपर लगाए गए आक्षेप का खंडन हमने पूर्व के लेख में किया था, और इस लेख में हम विष्णु व वृंदा कथा की समीक्षा करेंगे। हम बता दें तो पुराण ऋषि कृत नहीं हैं, इसे मध्यकालीन आचार्यों ने लिख कर व्यास जी के नाम से बता दिया जबकि व्यास जी ने कोई पुराण नहीं रचे थे। जो आप इस बात को जानना चाहें तो 18 पुराणों को स्वयं पढ़ें और अपनी बुद्धि से निष्पक्ष हो कर विचार करें कि क्या यह किसी एक व्यक्ति की कृति संभव है? क्या ऐसी बातें कोई विद्वान लिख सकता है, अगर नहीं तो व्यास जी जैसा महर्षि कैसे लिख सकता है। इसलिए हम पुराण को प्रामाणिक नहीं मानते, हम धर्म के लिए केवल व वेदानुकूल ऋषि कृत आर्ष ग्रंथों को ही प्रमाण मानते हैं। महाभारत काल तक व उसके पूर्व के ऐतिहासिक ग्रंथों में केवल रामायण व महाभारत ही प्रामाणिक हैं, वह भी मिलावट भाग को छोड़ कर, क्योंकि ये दोनों ऋषि कृत हैं। इतिहास के अन्य ऋषिकृत ग्रंथ आज उपलब्ध नहीं होते। विष्णु व वृंदा की कथा पद्म पुराण आदि में आई है। अतः ह

इन्द्र अहल्या कथा की समीक्षा

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लेखक - यशपाल आर्य हमें सोशल मीडिया से ६/०४/२०२२ को ज्ञात हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एमबीबीबीएस के तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों को अध्यापक ने ppt के माध्यम से रेप के उदाहरण देने के नाम पर ब्रह्मा सरस्वती, इंद्र अहल्या और विष्णु व वृंदा की पौराणिक कथा दिखा हमारे महापुरुषों को बदनाम करने की कोशिश किया। आज कोई भी हमारे महापुरुषों पर आरोप लगा लेता है क्योंकि पौराणिक बंधुओं ने वेद के मार्ग को छोड़ कर पुराणों को अपना धर्मग्रंथ मानने लगे। वे बिना विचार किए पुराण की हर बात को परम प्रमाण मान कर स्वीकार करते हैं। संस्कृत के हर वाक्य को परम प्रमाण मान लेते हैं, उसपर तर्क किए बिना ही उसे स्वीकार कर लेते हैं। किंतु वे यह भूल जाते हैं कि हमारे ऊपर इतने अत्याचार हुए, हमारे ग्रंथों में मिलावट की गई ताकि हमारे महापुरुषों को नीचा दिखाया जा सके जिससे हम लोगों में हीन भावना आ सके वा कई कथाएं वेद, ब्राह्मण ग्रंथों आदि के वचनों को न समझ कर उनके रूढ़ अर्थ करने से समाज में प्रचलित हो हो गईं व धीरे-धीरे उन्हें रामायणादि ग्रंथों में भी मिलाया जाने लगा। ऐसी ही एक कथा है इन्द्र और अहल्या की कथा। हम इस ल