श्रीराम और समुद्र संवाद का सच | The truth of Shriram and Sea conversation
लेखक - यशपाल आर्य भगवान् श्रीराम रावण के वध के लिए सेना के साथ लंका की ओर प्रस्थान करते हैं, तो लंका में प्रवेश करने के लिए उन्हें समुद्र को पार करना होता है। अब प्रश्न उपस्थित होता है कि समुद्र को कैसे पार किया जाए क्योंकि बिना समुद्र को पार किए लंका तक नहीं किया जा सकता। वर्तमान में प्रचलित रामायण में ऐसा आता है भगवान् श्रीराम यह सोचकर कि या तो मैं समुद्र पार करूंगा या तो समुद्र मेरे द्वारा सुखा दिया जाएगा, तीन दिन तक उसके किनारे कुश को बिछा कर व्यतीत करते हैं किन्तु तब भी समुद्र वैसा ही रहता है। ऐसा देखकर भगवान् श्रीराम को बहुत क्रोध आता है और धनुष हाथ में लेकर वे समुद्र में बाण चला कर उसे विक्षुब्ध कर देते हैं। दोबारा बाण छोड़ने के लिए लक्ष्मण जी मना करते हैं लेकिन फिर भी भगवान् श्रीराम का क्रोध शान्त नहीं होता। तब समुद्र स्वयं प्रकट होकर आता है और उन्हें समुद्र पर पुल बांधने का सलाह देता है, इसपर भगवान् श्रीराम बोलते हैं कि मेरा बाण अमोघ है अतः इसे किसपर प्रयोग किया जाए? इसपर समुद्र कहता है मेरे उत्तर की ओर द्रुमकुल्य देश में पापी, दस्यु आभीर निवास करते हैं उनपर चला दीजिए। भगवान्