क्या कुंताप सूक्त को ऋषि दयानंद ने मिलावट कहा?
लेखक - राज आर्य व यशपाल आर्य अथर्ववेद के 20वें काण्ड के सूक्त 127 से 136 सूक्त पर्यन्त 10 सूक्तों को कुंताप सूक्त कहा जाता है। इन सूक्तों के ऊपर हम आज विचार करेंगे। सर्वप्रथम हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि चारों वेद सृष्टि के आदि में ४ ऋषियों को प्राप्त होते हैं तथा वेद ही सब सत्य विद्याओं का ग्रंथ हैं इसी मत को प्रतिपादित करते हुए ऋषि दयानंद इस्लाम मत की समीक्षा जो लिखते हैं - “और जो बाइबल इञ्जील आदि पर विश्वास करना योग्य है तो मुसलमान इञ्जील आदि पर ईमान जैसा कुरान पर है वैसा क्यों नहीं लाते? और जो लाते हैं तो कुरान १ का होना किसलिये? जो कहें कि कुरान में अधिक बातें हैं तो पहली किताब में लिखना खुदा भूल गया होगा! और जो नहीं भूला तो कुरान का बनाना निष्प्रयोजन है। और हम देखते हैं तो बाइबल और कुरान की बातें कोई-कोई न मिलती होंगी नहीं तो सब मिलती हैं। एक ही पुस्तक जैसा कि वेद है क्यों न बनाया?” तथा इसी प्रकार अन्यत्र देखें- “जो मूसा को किताब दी थी तो पुनः कुरान का देना क्या आवश्यक था? क्योंकि जो भलाई बुराई करने न करने का उपदेश सर्वत्र एक सा हो तो पुनः भिन्न-भिन्न पुस्तक करने से पुनरुक्त द