Posts

Showing posts from August, 2021

वेद विषयक भ्रान्ति निवारण

Image
लेखक - यशपाल आर्य एवं राज आर्य वेदों के विषय में हमें कई भ्रांतियां हो जाती हैं, जिनका सत्य हमें ज्ञात नहीं होता, आज हम उन्हीं सत्य बातों को प्रमाण के आधार पर बताएंगे। आइए सत्य को ग्रहण करें और असत्य को छोड़ें, क्योंकि सत्य से बढ़ कर समस्त मानव जाति की उन्नति का कोई दूसरा कारण नहीं है। तो आइए अब हम विषय को प्रारंभ करते हैं। वेद कितने हैं? कुछ लोग कहते हैं कि शुरू में वेद सिर्फ एक था, जिसको महर्षि व्यास जी ने चार भागों में विभाजित करके चार वेद बनाया, यह कथन मिथ्या है क्योंकि अथर्ववेद में वेद शब्द का बहुवचन आया है, देखिए प्रमाण यस्मिन्वेदा निहिता विश्वरूपा:। [अथर्व ० ४/३५/६] इसी प्रकार अथर्ववेद १९/९/१२ में भी वेद बहुवचन में आया है - ब्रह्म प्रजापतिर्धाता लोका वेदाः सप्तऋषयोऽग्नयः। तैर्मे कृतं स्वस्त्ययनमिन्द्रो मे शर्म यच्छतु ब्रह्मा मे शर्म यच्छतु। विश्वे मे देवाः शर्म यच्छन्तु सर्वे मे देवाः शर्म यच्छन्तु॥ आदि में एक वेद मानने वाले पक्ष का निवारण करते हुए महर्षि दयानंद जी सत्यार्थ प्रकाश के 11वें समुल्लास में लिखते हैं ऋषियों के प्रायः सभी ग्रंथों में हमें सर्वत्र ऋक्, यजुः, साम ही ल