क्या मनुष्य की आयु पहले से ही निर्धारित होती है
कुछ लोगों का यह विचार होता है कि मनुष्य की आयु पूर्व निर्धारित होती है जबकि कुछ लोग कहते हैं कि मनुष्य की आयु पूर्व निर्धारित नहीं होती है, इसका सही उत्तर हमें चरक संहिता में मिलता है, तो आइए जानते हैं, क्या मनुष्य की आयु पूर्व निर्धारित होती है चरक संहिता के विमानस्थान के अध्याय 3 में भगवान् आत्रेय जी से अग्निवेश जी पूछते हैं किं न खलु भगवन्! नियतकालप्रमाणमायुः सर्वं न वेति||३२|| अर्थात् भगवन्! क्या आयु का परिमाण व समय सब निश्चित है वा अनिश्चित? इस पर आत्रेय जी उत्तर देते हैं भगवानुवाच - इहाग्निवेश ! भूवानामायुर्युक्तिमपेक्षते॥३३॥ देवे पुरुषकारे च स्थितं हास्य बलाबलम्। भगवान् आत्रेय ने कहा-हे अग्निवेश! प्राणियों की आयु, दैव और पुरुषकार इन दोनों का योग चाहती है। इसलिये आयु का बल और अबल दैव और पुरुषार्थ पर स्थित है॥ दैव मात्मकृतं विद्यात्कर्म यत्पौर्वदेहिकम्॥३४॥ स्मृतः पुरुषकारस्तु क्रियते यदिहापरम्। बलाबल विशेषोऽस्ति तयोरपि च कर्मणोः॥३५॥ अपने शरीर से जो कर्म पूर्व जन्म में किये हों उन को 'दैव' जानें और इस जन्म में जो कर्म किया जाता है उसे 'पुरुषकार' कहा है। इन दोनों प